राजस्थान में जैविक खेती की बहार

राजस्थान में जैविक खेती में किसानों की दिलचस्पी बढ़ी है
भारत में अब किसान जैविक खेती में खासी रुचि लेने लगे है. इसके साथ राजस्थान में जैविक खेती में हाथ बढाने वाले किसानों की तादाद में बढ़ोत्तरी हुई है.
हाल में सऊदी अरब के किसानों का एक दल राजस्थान आया और जैविक खेती के तौर तरीकों का ज्ञान हासिल किया.
इस काम में लगे ग़ैर सरकारी संगठनों का कहना है कि भारत का ओर्गेनिक निर्यात तीन सौ करोड़ का है. मगर अभी इसमें बहुत संभावनाएं हैं.
जैविक खेती किसान और धरती के बीच उस रिश्ते का अहसास कराती है जिसमें संबंधों की बुनियाद महज व्यापार नहीं, प्यार है.
भारत के किसान सदियों से धरती को माँ पुकारते रहे है. अब जैविक खेती के सहारे धरती को उसका पुराना रंग रूप लौटाया जा रहा है.
इस काम में लगे एक ग़ैर सरकारी संगठन मोरारका फाउंडेशन के मुकेश गुप्ता कहते हैं, ''दो तीन साल से हम देख रहे है, भारत ने इस क्षेत्र में बहुत प्रगति की है, भारत एक 'पॉवर हाउस' के रूप में स्थापित हो सकता है.
मुकेश गुप्ता कहते हैं, ''राजस्थान के भोगौलिक हालात इस खेती को मुफीद बनाते हैं. एक तो ये कि किसान के लिए खेती की लागत में कमी आई है, प्रति एकड़ पहले आठ दस हज़ार खर्चा रहा था, वो कम होकर एक दो हज़ार पर गया, भूमि के सूक्ष्म प्रबन्धन से खेती में पानी की 40 फीसद कमी आई है इसीलिए किसान इसे पसंद कर रहा है. हम किसानों को इसके विश्व बाजार से जोड़ रहे हैं ताकि किसानों को उचित मूल्य मिल सके.''
राजस्थान में कोई 70 हज़ार किसान इससे जुड़ गए हैं. भारत के बाकी के राज्यों के मुक़ाबले राजस्थान में सबसे ज्यादा किसान इस खेती में हाथ बंटाते रहे हैं.
उपयोगी
जैविक खेती केवल इंसान के लिए बल्कि धरती की सेहत के लिए भी उपयोगी है.
राजस्थान के भोगौलिक हालात इस खेती को मुफीद बनाते हैं. एक तो ये कि किसान के लिए खेती की लागत में कमी आई है, प्रति एकड़ पहले आठ दस हज़ार खर्चा रहा था, वो कम होकर एक दो हज़ार पर गया, भूमि के सूक्ष्म प्रबन्धन से खेती में पानी की 40 फीसद कमी आई है इसीलिए किसान इसे पसंद कर रहा है.
ग़ैर सरकारी संगठन मोरारका फाउंडेशन के मुकेश गुप्ता
अब दुनिया के और देश भी इसमें दिलचस्पी लेने लगे हैं. सऊदी अरब यूँ तो तेल से मालामाल है, मगर उसके किसान जैविक खेती को पसंद करने लगे हैं.
हाल में सऊदी अरब से कोई 20 किसान राजस्थान आए और इस खेती के गुर सीखे.
इस दल में शामिल मोहम्मद कहता है कि वो इस खेती के फायदे और राजस्थान के किसानों की हुनरमंदी से बहुत प्रभावित हुआ है.
मोहम्मद कहते हैं, ''ये मेरा पहला मौक़ा है जब मैं भारत आया हूँ, हमने यहाँ खेती के तौर तरीके सीखे हैं और अब अपने मुल्क में इसे खेती में इस्तेमाल करेंगे.''
जर्मनी के डॉ मार्को जैविक खेती के बड़े जानकार है. वो सऊदी अरब को इस काम में मदद कर रहे हैं.
डॉ मार्को ने भारत में जैविक खेती की प्रगति देख कर कहा, ''मैं यहाँ किसानों का कौशल देख कर बहुत प्रभावित हुआ हूँ, निस्संदेह यहाँ उन्होंने अच्छी तकनीक विकसित की है ,सऊदी अरब में अभी महज 70 किसान ही इस काम में लगे हैं.
डॉक्टर मार्को कहते हैं, ''यहाँ हज़ारों लोग जैविक खेती में पारंगत है, मगर सऊदी अरब के किसानों की ख्वाहिश इसे सीखने की है. दुनिया में जैविक खेती के मांग बढ़ रही है.''
भारत में ओर्गेनिक ट्रेड एसोसिएशन के अध्यक्ष मुकेश गुप्ता कहते हैं, ''इसकी चाहत तेजी से पैर पसार रही है, भारत में हर हफ्ते कोई पांच आउटलेट जैविक उत्पाद के शुरू हो रहे है. हमारा अनुमान है कि कोई 10 लाख उपभोक्ता हैं जो अब जैविक उत्पाद का आहार लेते है.''
जैविक खेती जैसे अपनी जड़ों को लौटना है. रसायन और मशीन ने धरती और इंसान के बीच रिश्तों की मिठास को कम कर दिया था, अब किसान कदाचित फिर से धरती का यशोगान करने लगा है.
(नारायण बारेठ,  बीबीसी संवाददाता, जयपुर)