आत्मपरिवर्तन से विष्वपरिवर्तन विषय पर व्याख्यानमाला का आयोजन

 राजकीय मध्य विधालय इंदरवा (देहाती) एवं म0 वि0 सलैयडीह के किषोर-किषोरियों के बीच पुणे (महाराष्ट्र) से आये संत षिवकांत सिंह महाराज का आत्मपरिवर्तन से विष्वपरिवर्तन विषय पर व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया। यह आयोजन समर्पण एवं नई आजादी अभियान के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। उन्होंने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि आत्मा ही मन, बुद्धि-विवेक है। इसलिए हम सभी आत्मा हैं। मौके पर सभी बच्चों से दुहराया कि मैं आत्मा हॅू। उन्होंने कहा कि यह वाक्य यदि ह्नदय से बोला गया तो मन मे शांति एवं काम करने में रूचि पैदा होगा। उन्होंने अपने व्याख्यान के दौरान हास्ययोग का प्रयोग कराया गया। उन्होंने हास्ययोग के फायदों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि अपने स्वरूप के प्रति अज्ञानता ही हमारे बीच भ्रम, भय एवं भूत पैदा करता है और सारी समस्याओं का निदान आत्मानुसंधान ही है। उन्होंने कहा कि आत्मदर्षन ही ईष्वर का दर्षन है, आत्मभक्ति ही ईष्वर की पूर्ण भक्ति है और आत्मश्रद्धा ही निष्काम भक्ति है। उन्होंने बच्चों द्वारा पूछे गये सवालों के जवाब भी दिये। 
व्याख्यानमाला में स्कूली बच्चों के अलावे संस्था सचिव इन्द्रमणि साहू, वार्ड सदस्य विजय यादव, बसंती देवी, मेरियन सोरेन, प्रधानाध्यापक सुभाषचंद्र, सलैयडीह के प्रधानाध्यापक सहदेव राम, विजय कु0 विष्वकर्मा, रीतलाल यादव, कालीचरण राम, सुरेष कुमार, वीरेन्द्र शर्मा, रेखा कुमारी, मो0 मुस्ताक, ज्योति कुमारी, नवयुवक संघ के अध्यक्ष छोटेलाल सिंह, षिक्षक विजय यादव, महेष यादव, युगल यादव, सुरेष यादव आदि शामिल हुए।